आज कल से कुछ ज्यादा ही ठंढ है .अख़बार में खबर है कि लोग सर्दी से मर रहे हैं. मुझे शहर में कुछ काम है किन्तु नहीं निकला . रजाई में घुसा हवा हूँ . कामाख्या वाम मार्ग का शक्तिपीठ है . मैं वहाँ जाता रहा हूँ , मगर वहाँ भी दक्षिण मार्गी हो कर ही रहा . शाकाहारी भोजन - मांस , मदिरा से दूर........अब वैष्णोदेवी की और मुडा हूँ पिछले साल वहाँ गया था , फिर जाने की इच्छा हो रही है . कहाँ कामाख्या कहाँ वैष्णोदेवी , ऊपर से दोनों दो ध्रुव लगते हैं मगर ऐसा है नहीं . दोनों ही एक ही परम शक्ति के अलग अलग रूप हैं . दोनों ही आत्मा का उद्धार करते हैं एक गरम एक शीतल . सूरज और चन्द्रमा , पिंगला और इडा इस शरीर में ही हैं . गंगा मैं नहाएये या जमुना में सभी का कार्य मॉल को शुद्ध करना है
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