Thursday, 24 January 2013

DIARY OF UDAIBHAB NUSHRA

आज कल से कुछ ज्यादा ही ठंढ है .अख़बार में खबर है  कि लोग सर्दी  से मर रहे  हैं.  मुझे शहर में  कुछ काम है  किन्तु नहीं निकला . रजाई में घुसा हवा हूँ . कामाख्या वाम मार्ग का शक्तिपीठ है . मैं वहाँ जाता रहा हूँ , मगर वहाँ भी दक्षिण मार्गी  हो कर ही रहा . शाकाहारी भोजन - मांस , मदिरा से दूर........अब वैष्णोदेवी  की और मुडा हूँ  पिछले साल  वहाँ  गया था , फिर जाने की इच्छा  हो रही है .  कहाँ कामाख्या कहाँ वैष्णोदेवी , ऊपर से दोनों दो ध्रुव लगते हैं  मगर ऐसा है नहीं . दोनों ही एक ही परम शक्ति  के अलग अलग रूप हैं . दोनों ही आत्मा का उद्धार  करते हैं एक गरम एक शीतल . सूरज और चन्द्रमा , पिंगला  और इडा इस  शरीर  में ही हैं . गंगा मैं  नहाएये या जमुना में  सभी का कार्य  मॉल को शुद्ध करना है   

No comments:

Post a Comment