Thursday 19 September 2013

एक दिन (poem of udaibhan mishra) ------------ तुन्हारे नगर से चला जायेगा उदयभान ए दिन बिछी की बिछी रह जायेंगी गोटिया देखते रह जायेंगे साहब दीवान और प्यादे सजती रहेंगी कन्याये विश कन्याये अप्सराये मंत्रिगन विदूशक कहा लगाओगे अपने दरबार कहा रहेगी यह सभा कहा रहेगा यह साम्राज्य ----------------उदयभान मिश्र्

Friday 13 September 2013

Udai Bhan Mishra ka Prishtha: उदयभान मिश्र की कविता --------------...

Udai Bhan Mishra ka Prishtha: उदयभान मिश्र की कविता --------------...: उदयभान मिश्र की कविता --------------------- ओ मेरी पकी टूट्ती दुपहर ओ पीली शाम जरा सोचो तो ...
उदयभान मिश्र की कविता --------------------- ओ मेरी पकी टूट्ती दुपहर ओ पीली शाम जरा सोचो तो क्या वसीयत नही है कोई सुबह तुम्हारे नाम -------------------उदयभान मिश्र्

Saturday 7 September 2013

Udai Bhan Mishra ka Prishtha: poem of udaibhan mishra

Udai Bhan Mishra ka Prishtha: poem of udaibhan mishra: धूप के पंख ------------- बन्द कमरो मे धूप के पंख फड्फडाते है बाहार हवा फूल के गुच्छे हिलाती दरवाजा तोडने को बेताब है -------------...

Udai Bhan Mishra ka Prishtha: poem of udaibhan mishra

Udai Bhan Mishra ka Prishtha: poem of udaibhan mishra: धूप के पंख ------------- बन्द कमरो मे धूप के पंख फड्फडाते है बाहार हवा फूल के गुच्छे हिलाती दरवाजा तोडने को बेताब है -------------...

Udai Bhan Mishra ka Prishtha: poem of udaibhan mishra

Udai Bhan Mishra ka Prishtha: poem of udaibhan mishra: धूप के पंख ------------- बन्द कमरो मे धूप के पंख फड्फडाते है बाहार हवा फूल के गुच्छे हिलाती दरवाजा तोडने को बेताब है -------------...

poem of udaibhan mishra

धूप के पंख
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बन्द कमरो मे
धूप के पंख
फड्फडाते है
बाहार हवा
फूल के गुच्छे हिलाती
दरवाजा तोडने को
बेताब है
--------------------उदयभान मिश्र