कामाख्या में पञ्च मकार से महामाया की अर्चना होती है .पञ्च मकार अर्थात मीन, मदिरा, मांस , मुद्रा और मैथुन . देवी की इस आराधना पद्धति को दार्शनिकों और साधकों ने वाम मार्ग कह कर पुकारा है .इसके विपरीत वैष्णो देवी हैं जो भैरवनाथ को अपने भोज से इस लिए भगा देती हैं कि वह मांस और मदिरा की मांग करता है .इतना ही नहीं उसका सर काट कर दूर की पहाडी पर फेंक देती हैं .
प्रश्न है कि एक साधक जो कामाख्या जाता रहा है वह सहसा वैष्णोदेवी की ओर कैसे आकर्षित हो गया वहाँ जाने के लिए क्यों बेचैन है . यह क्या है ? महामाया का खेल .एक ही महा शक्ति के विभिन्न रूप .महा सरस्वती , वीणा बजातीं तो महा लक्ष्मी कमल पुष्पों की सुगंधि विखेरती तो महा काली नर मुंडों की माला पहने भय की अनुभूति करातीं . इन विभिन्न रूपों में एक तत्व समान है कि सभी मानव का कल्याण ही करती हैं
प्रश्न है कि एक साधक जो कामाख्या जाता रहा है वह सहसा वैष्णोदेवी की ओर कैसे आकर्षित हो गया वहाँ जाने के लिए क्यों बेचैन है . यह क्या है ? महामाया का खेल .एक ही महा शक्ति के विभिन्न रूप .महा सरस्वती , वीणा बजातीं तो महा लक्ष्मी कमल पुष्पों की सुगंधि विखेरती तो महा काली नर मुंडों की माला पहने भय की अनुभूति करातीं . इन विभिन्न रूपों में एक तत्व समान है कि सभी मानव का कल्याण ही करती हैं
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