Sunday, 25 December 2011

poem of udaibhan mishra

छोडो  भी
छोडो  भी
और कोई  बात  करो 
धन पैदा  करने  की 
किसी  नयी योजना  पर 
विचार  करो 
 क्या  रखा  है
इस फ़िज़ूल की
काव्य चर्चा  में

कवि जी  को  बुलाओ 
और कवि जी का सत्कार  करो 
  
........................उदयभान मिश्र






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