आजकल
आजकल
मैं
एक ऐसे जंगल से
गुजर रहां हूँ
जिसमें
एक दरख्त की जड़ें
दूसरे दरख्त की
जड़ें हैं
एक की पत्तियां
दूसरे की पत्तियां हैं
एक की जत्तायें
दूसरे की जत्ताएं हैं
मैं
एक ऐसे जंगल से
गुजर रहा हूँ
जिसमें हर दरख्त
दूसरे दरख्त पर
झुका हुआ है
हर दरख्त
दुसरे दरख्त पर
ठिका हुआ है
---------उदयभान मिश्र
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