आलोचक को समर्पित एक कविता
उनके मन में
जो भी आयेगा
कहेंगे
मंच दिया है उन्हें
दहेंगे
पढ़ने से रिश्ता
कम
बोलने से ज्यादा है
उनका
दशकों पुरानी
कसौटी पर
कविता तुम्हें
कसेंगे
कविता!
घबराना मत
वे आलोचक हैं
पूज्य हैं
उन्हें प्रणाम् करो
-----------------------उदय भान मिश्र
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