Udai Bhan Mishra ka Prishtha
Thursday, 5 January 2012
poem of udaibhan midhra
शाम
माथे पर टिकी हुयी शाम
अधरों से लगी हुयी शाम
बाहों में भरी हुयी शाम
पावों में नपी हुयी शाम
मुझे
पीती शाम
माती शाम
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उदयभान मिश्र
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