Saturday, 28 January 2012

POEM OF UDAIBHAN MISHRA

रहो तो सही
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कुछ भी कहो
कहो तो सही

चित्र अधूरा क्यों
छोड़ रहे ?
भरो -कोई भी  रंग
भरो तो सही

मन माफिक लहर
कब  आयेगी
क्या पता
धार काट लोगे 
कूदो तो सही 
जाने का नाम 
क्यों लेते हो ?
जैसे  भी  रहो
रहो तो सही
.....................उदयभान मिश्र

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