Udai Bhan Mishra ka Prishtha
Sunday, 12 May 2013
आज बाक्स खोला तो
दीख पडा सूखा एक फूल
सोचा इसे फेंक दूं बाहर
चीख पड़ी माँ की आर्द्र आँखें
डोलने लगे सर पर
उसके ममता के हाथ
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उदयभान मिश्र
1 comment:
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
12 May 2013 at 21:48
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
साझा करने के लिए आभार!
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार!