एक दिन
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तुम्हारे नगर से
चला जाएगा उदयभान
एक दिन
बिछी की बिछी
रह जायेंगी गोटियाँ
देखते रह जायेंगे
साहब
दीवान
और
प्यादे
सजती रहेंगी
कन्याएं
अप्सराएं
मंत्रिगन
और
विदूषक
कहाँ लगावोगे
अपने दरबार
कहाँ रहेगी
यह सभा
कहाँ रहेगा
यह साम्राज्य
--------------------उदयभान मिश्र
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