Udai Bhan Mishra ka Prishtha
Wednesday, 23 November 2011
Poem of Udai Bhan Mishra
जीवन
जिन्दगी जीने का तो
इतना मोह
और .
साँपों का इतना दर
बिच्छुओं का इतना भय
आश्चर्य है ..
आपके सामने कैसे न खुला
जीवन का अर्थ
उदयभान मिश्र
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