Sunday, 24 February 2013

my likings

रामदरश मिश्र हमारे समय के एक महत्वपूर्ण कवि  और लेखक हैं . मेरे प्रिय कवि  हैं . आज उनकी एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ

            हाथ
           -----------
इस हाथ से  मैंने
आमजनों पर कविता लिखी 
दंगे पर कहानी 
आरक्षण पर लेख लिखा 
अयोध्या प्रसंग पर टिप्पणी 
आतंकवाद के विरुद्ध हस्ताक्छ्र्र - अभियान  चलाया
और कनाटप्लेस में मानव श्रृंखला  बनाई
सम्प्रदायवाद के विरोध में
 लेकिन तुम कहाँ छिपे  रहे भगोड़े
इस जलते समय में
वह चुप रहा
और शायद मेरी चिकनी  हथेलियाँ देखता  रहा
फिर धीर धीरे अपने दोनों  हाथ फैला दिए
वे झुलसे हुवे थे
वह बोला -
मैंने एक जलते हुवे मकान में से
एक बच्चे को बचाया था
फिर अस्पताल में पडा रहा
----------------------------------------रामदरश मिश्र  

No comments:

Post a Comment