Udai Bhan Mishra ka Prishtha:
चलो घर चलें----------------बहुत घूम लियातुमने उदय...: चलो घर चलें ---------------- बहुत घूम लिया तुमने उदयभान एक शहर से दूसरे शहर देख लिए तुमने कितने सूर्योदय और कितने स...
Saturday, 29 December 2012
Monday, 10 December 2012
Udai Bhan Mishra ka Prishtha: KAAMTANATH releasing ' kahani sirf meri hi nahin '...
Udai Bhan Mishra ka Prishtha: KAAMTANATH releasing ' kahani sirf meri hi nahin '...: कामतानाथ नहीं रहे -यह सुनना बहुत ही दुखद है . मेरा उनका लगभग पचास वर्षो का साथ था . हम १९६४ में दिल्ली में पहली बार मिले थे . वे सपरिवार ...
KAAMTANATH releasing ' kahani sirf meri hi nahin ' an autobiography of UDAIBHAAN MISHRA
कामतानाथ नहीं रहे -यह सुनना बहुत ही दुखद है . मेरा उनका लगभग पचास वर्षो का साथ था . हम १९६४ में दिल्ली में पहली बार मिले थे . वे सपरिवार दिल्ली भ्रमण पर आये थे . उस समय मेरी पत्नी जीवित थी .हम दोनो परिवार साथ साथ घूमते रहे . साथ में स्वर्गीय कथाकार रामनाथ शुक्ल भी थे . कामतानाथ का जाना जहाँ हिंदी जगत की एक अपूरणीय क्षति है वही मैंने अपना एक परम आत्मीय मित्र खो दिया है . कामतानाथ समसामयिक साहित्य जगत के संभवतः अकेले ऐसे लेखक थे ,जिनकी आत्मा गरीबों ,दलितों और संघर्ष करने वाली मानवीय चेतना में बसती थी . वे भीतर से भरे और तपे हुवे दृढ व्यक्तित्व थे - इसी लिए वे ट्रेड यूनियन नेता के रूप में अपनी प्रिय और उदार छवि प्रतिष्ठित कर सके थे . . अपनी विनम्र, शांत और सारगर्भित स्वभाव के कारण वे हर मिलने वाले को अपनी और आकर्षित कर लेते थे . मोहन राकेश, निर्मल वर्मा ,मार्कंडेय कमलेश्वर ,राजेंद्र यादव सभी के बीच से उन्होंने अपनी एक मौलिक राह बनायी थी . मुझे याद है जब उनका उपन्यास 'काल कथा' प्रकाशित हुवा था पूरे हिंदी जगत में हलचल मच गया था . साहित्य और समाज की हर धड़कन को अपनी धड़कन बना लेने वाले अमर कथाकार कामतानाथ को मेरा शत शत प्रणाम . |
Tuesday, 4 December 2012
Subscribe to:
Posts (Atom)