Saturday, 29 December 2012


चलो घर चलें
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बहुत घूम लिया
तुमने उदयभान
एक  शहर से
दूसरे शहर


देख लिए तुमने
कितने सूर्योदय
और कितने सूर्यास्त


अब तो विश्राम करो
समय के पतझर में


जिस घर   से  निकले थे
उस घर के दरवाज़े
बेचैनी से कर रहें हैं
तुम्हारा इंतज़ार
चलो  अब घर  चलें

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