हिंदी में क्षणों की अनुभूतियो को लेकर बहुत सी मर्मस्पर्शी और विचार प्रेरक कविताये लिखी गयी है ये कविताये कुछ क्षणों का, लघु प्रसंगों का, लघु दृश्यों का चित्रण नहीं करती, बल्कि कुछ संगत और असंगत बिम्बों के माध्यम से क्षणों की परिधि में उफनते जीवन की संश्लिस्त्तता मूर्तिमान कर देती है ये कविताये आकार में छोटी होती है और प्रभाव में अत्यंत तीव्र यों तो प्राय: सारे नये कवियों ने इस प्रकार की कविताये लिखी है, परन्तु विशेष रूप से अज्ञेय, कुवर नारायण, नरेश मेहता, उदयभान मिश्र, श्रीकांत वर्मा, केदार अग्रवाल की कवितायेँ देखी जा सकती है |
बंद कमरो में
धुप के पंख फड़फडाते है
बाहर
हवा
फूल के गुच्छे हिलाती
दरवाजा तोड़ने को
बेताब है
उदयभान मिश्र - 'सिर्फ एक गुलाब के लिए' से डा रामदरश मिश्र की किताब 'हिंदी कविता तीन दशक के पृष्ट ११२ से
बंद कमरो में
धुप के पंख फड़फडाते है
बाहर
हवा
फूल के गुच्छे हिलाती
दरवाजा तोड़ने को
बेताब है
उदयभान मिश्र - 'सिर्फ एक गुलाब के लिए' से डा रामदरश मिश्र की किताब 'हिंदी कविता तीन दशक के पृष्ट ११२ से
No comments:
Post a Comment