Saturday 7 September 2013

poem of udaibhan mishra

धूप के पंख
-------------
बन्द कमरो मे
धूप के पंख
फड्फडाते है
बाहार हवा
फूल के गुच्छे हिलाती
दरवाजा तोडने को
बेताब है
--------------------उदयभान मिश्र

No comments:

Post a Comment