Monday, 2 March 2015

poem of udaibhan mishra

,,,,,भीड़ में दौड़ दौड़
  .. तुम्हें खोजता रहा।
 ...सारी राह
    तुम्हारे ही बारे में
 ..सोचता रहा

....रात के सन्नाटे में
    जब भी  इंजन की
   सीटियाँ  सुनायी  पड़ी
 .बिस्तर से उठ उठ  कर
 अपनी शुभकामनाएं
  तुम्हें  भेजता रहा
    ...........................उदयभान मिश्र